काशीपुर नगर निगम के मेयर व पार्षद प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार चरम पर, प्रत्याशियों ने झोंकी पूरी ताकत ,पोस्टर व बैनरों से पटा शहर

सुशील चौहान
उत्तराखण्ड: काशीपुर उत्तराखण्ड के प्रमुख नगरों में गिना जाता है । काशीपुर उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक नगर तो है ही, लेकिन राजनीति के लिए भी अपने आप में प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए है। ऊधम सिंह नगर के ऐतिहासिक नगर काशीपुर में निकाय चुनाव प्रचार अपने चरम पर है । पूरा शहर नगर निगम के मेयर पद व वार्ड पार्षदों के प्रत्याशियों के बैनर व पोस्टरों से पटा पड़ा है। शहर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा, जहां प्रत्याशियों के बैनर व पोस्टर न ल लगे हों। जिनसे शहर सजा हुआ नजर आ रहा है और बैनर व पोस्टर नगर की शोभा को बढ़ा रहे हैं। नगर के विभिन्न स्थानों पर लगी बैनर व चिपके पोस्टर अपने अंदर चुनाव के नतीजों का मौन संदेश दे रहे हैं । मतदाताओं की नजर शहर में लगे बैनर में पोस्टरों पर जाकर टिक जाती है और वे उन्हें कुछ न कुछ सोचने मजबूर कर रहे हैं । उधर शहर में मेयर व पार्षद प्रत्याशियों के लाउडस्पीकर लगे ई-रिक्शा चुनाव प्रचार करते घूम रहे हैं । चुनाव प्रचार के लाउडस्पीकरों से चुनावी नारों की आवाज निकालने के अलावा राष्ट्रीय भक्ति गीत बज रहे हैं । गणतंत्र दिवस से पहले ही शहर में राष्ट्रभक्ति गीत गूंज रहे हैं और राष्ट्रभक्ति गीतों की काफी धूम मची हुई है। चुनाव प्रचार वाहनों पर बज रहे राष्ट्र भक्ति गीतों से शहर का वातावरण राष्ट्रभक्ति मय हो रहा है । एक तरफ जहां प्रत्याशियों द्वारा चुनावी बैनर,  पोस्टरों व अन्य चुनाव समग्री से चुनाव प्रचार किया जा रहा है, वहीं शहर में प्रत्याशियों व उनके समर्थकों का जनसंपर्क अभियान भी व्यापक स्तर पर चल रहा है । प्रत्याशी व उनके समर्थक डोर टू डोर जाकर चुनावी पैंपलेट व अपने अपने घोषणा पत्र,संकल्प पत्र, नमूना मत पत्र वितरित कर रहे हैं तथा दीवारों पर चुनावी पोस्टर व स्टीकर चिपका कर लोगों से वोट मांग रहे हैं ।  प्रत्याशियों की नुक्कड़ सभाएं भी नियमित रूप से चल रही हैं। प्रत्याशी एक-दूसरे की होड़ पर अपनी नुक्कड़ सभाओं में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने में जुटे हुए हैं । प्रत्याशी नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से अपने अलग-अलग संदेश दे रहे हैं और वोट मांग रहे हैं । कुल मिलाकर सभी प्रत्याशी व उनके समर्थक चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं । प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए लोगों का जीत रहे हैं । चाहे परिणाम जो भी निकल कर आए । अभी तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि “जिस दिए में जान होगी वहीं रह जाएगा” ।